जीवन में मधुमास नहीं है
जीवन में मधुमास नहीं है
गीत✍️ उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट
घिरे अभावों में दिन ऐसे
पतझड़ जैसे आँसू गिरते
जीवन में मधुमास नहीं है।
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निभा न पाया कर्तव्यों को
हुए स्वप्न धूमिल हैं सारे
रूठे हैं सुख जाने कब से
लगता दु:ख ने पाँव पसारे
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धीर बँधाए कोई आकर
इसकी भी कुछ आस नहीं है।
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देखा भौतिकवादी युग में
चकाचौंध ही सबको भाती
संबंधों की पगडंडी पर
निष्ठा भी अब ठोकर खाती
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साथ छोड़ जाते अपने भी
पैसा जिसके पास नहीं है।
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कोई सोने में है तोले
कोई जग की सैर कराता
दिला न पाए साड़ी तक हम
गम इसका है बहुत सताता
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भइया की शादी में तेरे
देने को कुछ खास नहीं है।
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कब से रोजगार है चौपट
चिंता में इसकी हम खोए
लगे बुढ़ापे जैसा यौवन
किस्मत भी जब काँटे बोए
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पीर छिपी अंतस में गहरी
इसका क्या आभास नहीं है।
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रचनाकार✍️ उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट
'कुमुद -निवास'
बरेली( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल- ९८३७९४४१८७
Gunjan Kamal
08-Dec-2023 08:30 PM
👌👏
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
06-Dec-2023 09:39 PM
बेहतरीन अभिव्यक्ति
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